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Atmosphere Layers Related Knowledge in Hindi Download

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वायुमंडल की परतें in hindi
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Atmosphere Layers Related Knowledge(वायुमंडल की परतें) in Hindi

Atmosphere Layers वायुमंडल की परतें in hindi
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इस पोस्ट के माध्यम से वायुमंडल की विभिन्न परतों को चित्र के माध्यम से दर्शाते हुए उनके नाम सहित चर्चा करेंगे तथा वायुमंडल में गैसों की मात्रा, समताप मंडल, वायुमंडल में गैसों की मात्रा, वायुमंडल की संरचना का चित्रआदि की जानकारी निम्नलिखित है :-

वायुमंडल किसे कहते हैं?

पृथ्वी के चारों और लिपटा हुआ गैसों का विशाल आवरण (giant cover of gases) जो पृथ्वी का अखंड अंग है और उसे चारों तरफ से घेरे हुए हुए है, वायुमंडल (Atmosphere) कहलाता है. जलवायु वैज्ञानिक क्रिचफिल्ड के अनुसार वायुमंडल अपने वर्तमान स्वरूप में 58 से 50 करोड़ वर्ष पूर्व अर्थात् कैम्ब्रियन युग  (Cambrian era) में आया. वायुमंडल का भार 5.6×1025 टन है एवं इसके भार का लगभग आधा भाग धरातल से 5500 किमी. की ऊँचाई पर पाया जाता है. आधुनिक अनुसंधानों से स्पष्ट होता है कि वायुमंडल की अंतिम ऊँचाई (विस्तार) 16 हजार कि.मी. से 32 हज़ार किलोमीटर के बीच है. वायुमंडल का 50% भाग इसके 5 1/2 कि.मी. की ऊँचाई तक, 75% भाग 16 कि.मी. के ऊँचाई तक एवं 99% भाग 32 कि.मी. ऊँचाई तक स्थित है.

वायुमंडल का संगठन तथा संरचना नोट्स Download

  • atmosphere layers वायुमंडल का संगठन
  • वायुमंडल का संगठन/संघटन (Composition of atmosphere) निम्नलिखित तत्वों से हुआ है  –
  • गैस (GASES)
  • भौतिक दृष्टि से वायुमंडल विभिन्न गैसों का सम्मिश्रण है. 10 प्रमुख गैस वायुमंडल के संगठन/संघटन (atmosphere composition) के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं –

प्रमुख गैसें इस प्रकार है :-

नाइट्रोजन (NITROGEN)

  • यह एक जैविक रूप से निष्क्रिय और भारी गैस (gas) है.
  • इसका चक्रण वायुमंडल, मृदामंडल और जैवमंडल में अलग-अलग होता है.
  • यह नाइट्रिक ऑक्साइड के रूप में अम्ल वर्षा (Acid Rain) के लिए उत्तरदाई है.

ऑक्सीजन (OXYGEN)

  • यह प्राणदायिनी गैस है.
  • इस भारी गैस का संघनन वायुमंडल के नीचले भाग में है.
  • कार्बन डाईऑक्साइड (CARBON DIOXIDE)
  • पौधे कार्बन डाईऑक्साइड से ग्लूकोज और कार्बोहाइड्रेट बनाते हैं.

  • राइजोबियम बैक्टीरिया वायुमंडलीय नाइट्रोजन को नाइट्रेट के रूप में ग्रहण करता है.
  • विविध कारणों से इस गैस की सांद्रता (Gas concentrations) में वृद्धि के कारण ग्लोबल वार्मिंग एवं जलवायु
  • परिवर्तन की समस्या उत्पन्न हो रही है.

ओजोन (OZONE)

  • वायुमंडल में अति अल्प मात्र में पाए जाने वाले ओजोन का सर्वाधिक सांद्रण 20-35 कि.मी. की ऊँचाई पर है.
  • ओजोन सूर्य से आने वाली घातक पराबैगनी किरणों (UV rays) को रोकती है.
  • वर्तमान में CFC एवं अन्य ओजोन क्षरण पदार्थों की बढ़ती मात्र के कारण ओजोन परत (ozone layer) का

  • क्षरण एक गंभीर समस्या के रूप में उभरी है.
  • गैसों में नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाईऑक्साइड आदि भारी गैसें (heavy gases) हैं जबकि शेष गैसें

  • हलकी गैसें (light gases) हैं और वायुमंडल के ऊपरी भागों में स्थित हैं.
  • कार्बन डाईऑक्साइड एवं ओजोन अस्थायी गैसे हैं जबकि नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन और नियोन स्थायी गैसें हैं.

जलवाष्प (WATER VAPOUR)

  • वायुमंडल में आयतानुसार 4% जलवाष्प की मात्र सदैव विद्दमान रहती है.
  • जलवाष्प की सर्वाधिक मात्र भूमध्य रेखा के आसपास और न्यूनतम मात्र ध्रुवों के आसपास होती है.
  • भूमि से 5 किमी. तक के ऊंचाई वाले वायुमंडल में समस्त जलवाष्प का 90% भाग होता है.
  • जलवाष्प सभी प्रकार के संघनन एवं वर्षण सम्बन्धी मौसमी घटनाओं के लिए जिम्मेदार होती है.
  • ज्ञातव्य है कि वायुमंडल में जलमंडल का 0.001 % भाग सुरक्षित रहता है.
  • धूल कण (DUST MITES)
  • इसे एयरोसोल भी कहा जाता है. विभिन्न स्रोतों से वायुमंडल में जानेवाले धूलकण आर्द्रता ग्राही नाभिक का कार्य करते हैं.
  • धूलकण सौर विकिरण के परावर्तन और प्रकीर्णन द्वारा ऊष्मा अवशोषित करते हैं.
  • वर्णात्मक प्रकीर्णन के कारण आकाश का रंग नीला और सूर्योदय और सूर्यास्त के समय-समय दिखने वाला रंग धूलकणों की ही देन है.
  • ऊषाकाल एवं गोधूली की तीव्रता एवं उसकी अवधि के निर्धारण में धूलकणों की प्रमुख भूमिका होती है.
  • धूलकण एवं धुएँ के कण आद्रता ग्राही नाभिकों का भी कार्य करते हैं.
  • धूलकणों का सर्वाधिक जमाव ऊपोष्ण व औद्योगिक क्षेत्रों में एवं न्यूनतम जमाव ध्रूवों के निकट पाया जाता है.

वायुमंडल की संरचना

वायुमंडल की संरचना के सम्बन्ध में 20वीं शताब्दी में विशेष अध्ययन किये गए हैं. इस दिशा में तिज्रांस-डि-बोर, सर नेपियर शाॅ, फ्रैडले, कैनली, फेरेब आदि वैज्ञानिकों का विशेष योगदान रहा है. तापमान के उर्ध्वाधर वितरण के आधार पर वायुमंडल के प्रमुख परतें (important layers) निम्नलिखित हैं – –

क्षोभमंडल (TROPOSPHERE)

  • ट्रोपोस्फीयर/विक्षोभ प्रदेश/Troposphere नामक शब्द का प्रयोग तिज्रांस-डि-बोर ने सर्वप्रथम किया था.
  • वायुमंडल की इस सबसे नीचली परत (bottom layer) का भार सम्पूर्ण वायुमंडल का लगभग 15% है.
  • ग्रीष्म ऋतु में इस स्तर की ऊँचाई में वृद्धि और शीतऋतु में कमी पाई जाती है.
  • इस मंडल की प्रमुख विशेषता है प्रति 165 मी. की ऊँचाई पर तापमान में 1 डीग्री सेल्सियस की गिरावट आना. इसमें सर्वाधिक क्षैतिज और लम्बवत तापान्तर होता है.
  • इस भाग में गर्म और शीतल होने का कार्य विकिरण, संचालन और संवहन द्वारा होता है.
  • धरातल से इस परत की औसत ऊँचाई 10 कि.मी. है. भूमध्य रेखा पर ऊँचाई 18 कि.मी. और ध्रुवों पर 8-10 कि.मी. है.
  • इस मंडल को परिवर्तन मंडल भी कहते हैं. समस्त मौसमी घटनाएँ भी इसी मंडल में घटित होती हैं.
  • इस मंडल की एक और विशेषता यह है कि इसके भीतर ऊँचाई में वृद्धि के साथ वायुवेग में भी वृद्धि होती है.
  • संवहनी तरंगों तथा विक्षुब्ध संवहन के कारण इस मंडल को कर्म से संवहनी मंडल और विक्षोभ मंडल भी कहते हैं.

क्षोभ सीमा (TROPOPAUSE)

  • क्षोभ मंडल और समताप मंडल को अलग करनेवाली 1.5 कि.मी. मोटे संक्रमण को ट्रोपोपॉज या क्षोभ सीमा (tropopause) कहा जाता है.
  • इसकी ऊँचाई भूमध्य रेखा पर 17-18 कि.मी. (तापमान- 80 डिग्री सेल्सियस) ध्रुवों पर 8-10 कि.मी. (तापमान -45 डिग्री सेल्सियस)
  • क्षोभ सीमा (tropopause) ऊँचाई के साथ तापमान का गिरना बंद हो जाता है.

समताप मंडल (STRATOSPHERE)

  • क्षोभ सीमा से ऊपर 50 कि.मी. की ऊँचाई तक समताप मंडल का विस्तार है.
  • कुछ विद्वान् ओजोन मंडल को भी इसी में समाहित कर लेते हैं.
  • इस मंडल में तापमान में कोई परिवर्तन नहीं होता और संताप रेखाएँ समानंतर न होकर लम्बवत होते हैं.
  • यहाँ संघनन से विशिष्ट प्रकार के “मुकताभ मेघ” की उत्पत्ति होती है और एवं गिरने वाले बूदों को Noctilucent कहते हैं.
  • इस मंडल की मोटाई ध्रुवों पर सर्वाधिक और विषुवत रेखा पर सबसे कम होती है.
  • शीत ऋतु में 50 डिग्री से 60 डिग्री अक्षाशों के बीच समताप मंडल सर्वाधिक गर्म होता है.
  • यह मंडल मौसमी घटनाओं से मुक्त होता है, इसलिए वायुयान चालकों के लिए उत्तम होता है.
  • 1992 में समताप मंडल (stratosphere) की खोज एवं नामाकरण तिज्रांस-डि-बोर ने किया था.

ओजोन मंडल (OZONOSPHERE)

  • समताप मंडल के नीचले भाग में 15 से 35 कि.मी. के बीच ओजोन गैस (Ozone gas) का मंडल होता है.
  • ओजोन गैस (Ozone gas) सूर्य से निकलने वाली अतिप्त पराबैगनी किरणों (UV rays) को सोख लेती है.

    इसी अन्य तापमान के कारण वायुमंडल में ध्वनि एवं नीरवता के वाले उत्पन्न होते हैं.
  • इस स्तर में प्रति कि.मी. 5 डिग्री सेल्सियस की दर से तापमान बढ़ता है.
  • वर्तमान में ओजोन पार्ट के क्षरण की समस्या के निवारण के लिए मोंट्रियल प्रोटोकॉल (Montreal protocol)
  • एवं अन्य उपायों के जरिये ओजोन क्षरक पदार्थों आर कड़ाई से रोक लगाई जा रही है. ग्लोबल वार्मिंग के बारे में |

मध्य मंडल (MESOSPHERE)

  • 50 से 80 कि.मी. की ऊँचाई वाला वायुमंडलीय भाग मध्य मंडल (mesosphere) कहलाता है जिसमें तापमान में ऊँचाई के साथ ह्रास होता है.
  • 80 कि.मी. की ऊँचाई पर तापमान -80 डिग्री सेल्सियस हो जाता है, इस न्यूनतम तापमान की सीमा को “मेसोपास” कहते हैं.

आयन मंडल (IONOSPHERE)

  • धरातल से 80-640 कि.मी. के बीच आयन मंडल का विस्तार है.
  • यहाँ पर अत्यधिक तापमान के कारण अति न्यून दबाव होता है. फलतः पराबैगनी फोटोंस (UV photons) एवं
  • उच्च वेगीय कणों के द्वारा लगातार प्रहार होने से गैसों का आयनन (Ionization) हो जाता है.
  • आकाश का नील वर्ण, सुमेरु ज्योति, कुमेरु ज्योति तथा उल्काओं की चमक एवं ब्रह्मांड किरणों की उपस्थिति इस भाग की विशेषता है.

यह मंडल कई आयनीकृत परतों में विभाजित है, जो निन्मलिखित हैं :–

  • i) D का विस्तार 80-96 कि.मी. तक है, यह पार्ट दीर्घ रेडियो तरंगों को परावर्तित करती है.
  • ii) E1 परत (E1 layer) 96 से 130 कि.मी. तक और E2 परत 160 कि.मी. तक विस्तृत हैं. E1 और E2 परत मध्यम रेडियो तरंगों को परावर्तित करती है.
  • iii) F1 और F2 परतों का विस्तार 160-320 कि.मी. तक है, जो लघु रेडियो तरंगो (radio waves) को परावर्तित करते हैं. इस परत को एप्लीटन परत (appleton layer) भी कहते हैं.
  • iv) G परत का विस्तार 400 कि.मी. तक है. इस परत (layer) की उत्पत्ति नाइट्रोजन के परमाणुओं व पराबैगनी फोटोंस (UV photons) की प्रतिक्रिया से होती है.

atmosphere layers related knowledge in hindi

  • वायुमण्डल का कितने प्रतिशत भाग नाइट्रोजन से निर्मित है → 78.8%
  • वायुमण्डल का कितने प्रतिशत भाग ऑक्सीजन से निर्मित है → 20.95%
  • भूतल से कितने किमी (ऊँचाई) तक वायुमण्डल में समस्त वायु का 90% भाग रहता है → 5 किमी
  • वायुमण्डल का कितने प्रतिशत भाग आर्गन से निर्मित है → 0.93%
  • वायुमण्डल का कितने प्रतिशत भाग कार्बन डाइऑक्साइड से निर्मित है → 0.036%
  • आधुनिक अंतरिक्ष युग में वायुमण्डल का विस्तार कितना माना गया है → 10,000 किमी
  • वायुमण्डल का कितने प्रतिशत भाग निऑन से निर्मत है→ 0.002%
  • वायुमण्डल का कितने प्रतिशत भाग हीलियम से निर्मित है→ 0.0005%
  • धरातल के निकट जलवाष्प की मात्रा कितने प्रतिशत पाई जाती है → 1 से 4%
  • वायुमण्डल का कितने प्रतिशत भाग क्रिप्टन से निर्मित है → 0.001%
  • वायुमण्डल का कितने प्रतिशत भाग जेनन से निर्मित है → 0.00009%
  • समस्त जल वाष्पन के बाद पूरे धरातल पर कितनी वर्षा होती है → 2.5 सेमी
  • वायुमण्डल का कितने प्रतिशत भाग हाइड्रोजन से निर्मित है → 0.00005%

(Atmosphere Layers) वायुमंडल की परतें in hindi

  • वायुमण्डल का कितने प्रतिशत भाग ओजोन से निर्मित है→ 0.0000001%
  • अधिक जलवाष्प कहाँ पाई जाती है → विषुवत रेखा
  • सूर्यताप से प्रति सेकेंड कितने जल का वाष्पन होता है → 1.6 करोड़ टन
  • किसके कारण सूर्योदय, सूर्यास्त, मेघ तथा इंद्रधनुष के विभिन्न रंग बिखरते है → धूलकण
  • धरातल से कितने किमी ऊँचा वायुमण्डल अधिक महत्वपूर्ण है → 8 किमी
  • वायुमण्डल की परतें | Layers of Atmosphere
  • वायुमण्डल के सबसे निचले भाग को क्या कहा जाता है → क्षोभमण्डल
  • क्षोभमण्डल की ऊँचाई धरातल से कितने किमी होती है → 12 किमी
  • धरातल से ऊपर जाने पर प्रति एक हजार मीटर पर किस दर से तापमान कम हो जाता है → 6.5°C
  • परिवर्तनमण्डल तथा समतापमण्डल के बीच 1.5 किमी मोटी परत को क्या कहते हैं→ क्षोभसीमा
  • विषुवत रेखा पर ट्रोपोपॉज की ऊँचाई अधिकतम कितनी होती हैं → 16 से 18 किमी
  • ध्रुवों पर ट्रोपोपॉज न्यूनतम् ऊँचाई कितनी होती है → 8 से 10 किमी
  • ट्रोपोपॉज की निचली सीमा पर कौन-सी पवनें चलती हैं → जैट
  • क्षोभसीमा के ऊपर कितने किमी की ऊँचाई तक विस्तृत क्षेत्र पर तापमान स्थिर रहता है → 50 किमी
  • ओज़ोन गैस के कारण इस मण्डल को क्या कहते हैं → ओजोन मण्डल
  • ओज़ोन गैस की अधिकता के कारण किसका अवशोषण अधिक होता है → पराबैंगनी विकिरण
  • वायुमण्डल का अधिकांश ओज़ोन कितने किमी की ऊँचाई पर सबसे अधिक सघन पाया जाता है → 22 किमी
  • समताप मण्डल में तापक्रम ट्रोपोपॉज के पास -60°C से बढ़ता हुआ स्ट्रेटोपॉज तक कितना हो जाता है → 0° सेग्रे
  • कितनी ऊँचाई वाले वायुमण्डलीय भाग को मध्य मण्डल कहा जाता है → 50 से 80 किमी
  • मेसोपॉज की ऊपरी सीमा पर तापमान कितना हो जाता है → 1700° सेग्ने
  • इस न्यूनतम तापमान (-80° सेग्रे) की सीमा को क्या कहते हैं  → मेसोपॉज
  • कितनी ऊँचाई से ऊपर वाला वायुमण्डलीय भाग मेसोपॉज कहलाता है → 80 किमी से ऊपर तक
  • वायुमण्डल का कौन-सा भाग 80 से 60 किमी तक विस्तृत है → आयन मण्डल

वायुमंडल PDF in Hindi Download

  • ये तहें कितनी ऊँचाई तक मिलती हैं → 80 से 140 किमी
  • आयन मण्डल की अन्य दो महत्वपूर्ण तहें कौन-सी हैं →  E1 और E2
  • धरातल से 80 किमी की ऊँचाई पर तापमान कितना हो जाता है→80° सेग्रे (-120° फा.)
  • चुंबकीय मण्डल में कितनी ऊँचाई पर इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन पाए जाते हैं → 10,000 किमी
  • रेडियो की मीडियम तरंगें किन तहों से परिवर्तित होती हैं → E1E2
  • आयन मण्डल की सबसे नीचे की तह क्या कहलाती है → डी तह
  • इन तहों के ऊपर 140 किमी की ऊँचाई पर कौन-सी तह पाई जाती है → F1
  • रेडियो की मीडियम तरंगें किन तहों से परिवर्तित होती हैं → E1E2
  • इन तहों के 248 किमी ऊँचाई पर कौन-सी तह पाई जाती हैं → F2
  • ये तहें रेडियो की कौन-सी तरंगों को परिवर्तित करती हैं → लघु तरंगे
  • बाह्य या चुंबकीय मण्डल कितनी ऊँचाई पर विस्तृत है → 60 किमी से अधिक

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